ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं !
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं.....
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए..
न जाने कब नारियल हिन्दू और खजूर मुसलमान हो गए......
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं , वो सिर्फ निवालों को जानते हैं
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
में अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो... लाल और हरे में मत बांटो , मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
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